Change your Paradigm, Change your life मे बॉब प्रोकटोर कहेते हैं की मे लोगो से सबसे पहले यही सवाल पूछता हु की अपनी
ज़िंदगी देखो और बताओ की क्या आप अपने रिज़ल्ट से खुश हैं। आप जो करना चाहते हो? क्या वो 100% कर पा रहे हो? क्या आप हर दिन वैसे ही जी
रहे हो जैसे जीना चाहते हो?
अगर बड़े नहीं तो कम से कम क्या आप छोटे छोटे रिज़ल्ट
पैदा कर रहे हो? क्यूकी आपके कनसिसटन्स एक्शन और रिजल्ट्स आपके
अंदर बैठे सबकोनसीअस विचारो को दर्साता हैं।
अगर हम अपने लाइफ को ध्यान से देखे तो हम एक ही
हरकत, एक ही तरह का बेहेवियर पैटर्न बार बार दोहराते हैं। और ये यो-यो इफैक्ट की रिसर्च
से भी साबित होता हैं। जहा लोग सुरूआत मे वजन कम करते हैं लेकिन कुछ समय बाद पहले
से ज्यादा वजन बढ़ा लेते हैं। क्योंकि पुरानी आद्ते और मनचाही फूड खाना वापस उनपर
भारी हो जाता हैं।
वैसे ही आप कोसिस करते हो नई आदत डालने की लेकिन दो
तीन दिन बाद ही फिर पुरानी आदते आप पर हावी होने लगती हैं।
जब तक आपकी सेल्फ इमेज और Paradigm मे बदलाव नहीं होता तब तक कोई भी बदलाव या रिज़ल्ट परमेनन्ट नहीं होता, इसका मतलब बदलाव अंदर से पैदा होकर बाहर आना चाहिए, या कम से कम बाहर और अंदर दोनों तरफ होना चाहिए।
बॉब
प्रोकटोर इस Change your Paradigm, change your life बूक मे कहेते हैं की हम लोगो के पास
आज कल बहुत इन्फोर्मेसन हैं। हम लोगो को पता हैं क्या करना हैं? कैसे करना हैं? लेकिन कर नहीं पाते। यानि
अच्छी और बहूत काम की इन्फोर्मेसन और तुरंत एक्शन का एक बड़ा सा गैप हैं।
अगर आप ये अंतर को समज जाओ की सब कुछ जानते हुए भी हम लोग अपने एक्शन नहीं ले पा रहे तो आप Paradigm का महत्व समाज जाएगे।
Paradigm क्या हैं
आपके अवचेतन मन मे कुछ आइडियास और बिलिफ़ बैठे हुए
हैं, ये आइडियास बचपन से आपके अंदर बने हुए हैं। ये बहुत सिमप्ल आइडियास हो सकते
हैं जैसे मेहनत करने मे तकलीफ होती हैं, या जीवन मे ज्ञान का होना
जरूरी हैं।
या बहुत पेचीदा बिलिफ़ सिस्टम जिसमे काफी सारे
आइडियास हैं, जैसे सक्सेसफुल होने के लिए बहुत लालची होना पड़ता
हैं, या बिना चिंता किए कुछ नहीं होता।
अवचेतन मन मे बेठे इन बिलिफ़ सिस्टम और सेल्फ इमेज
को Paradigm कहते हैं। और जैसे आपके Paradigm होते हैं वैसे ही आपकी वायब्रेसन और एनर्जि भी होती हैं और वैसे ही आपकी
बिहेवीअर पैटर्न होती हैं, यानि आप हर रोज़ वैसे ही
एक्शन बार बार लेते हैं और अंत मे वैसे ही रिज़ल्ट मिलते हैं।
जब तक आप अपने अंदर के बिलिफ़ सिस्टम मे बैठे विचारो
के पैटर्न को नहीं बदलेगे तब तक आपके रिज़ल्ट कभी नहीं बदलेगे।
हम लोग Paradigm क्यो बदलना चाहते हैं? या दूसरे सबदों मे कहे तो सफलता का मतलब क्या हैं?
बॉब प्रोकटोर इस Change your Paradigm,Change your life बूक मे कहते की मे दुनिया के कही तरह
के लोगो से मिलता हु, और ज़्यादातर लोग तीन चिजे
चाहते हैं।
1.
बहुत कम लोग हैं जो
पैसा चाहते हैं, लेकीन हर कोई फाइनेंसियल सुरक्सा चाहता हैं जिससे
उसे किसी भी जरूरत के लिए पैसे के बारे मे न सोचना पड़े।
2.
हर इंसान हर दिन खुस
रहना चाहता हैं, हर दिन वो काम करना चाहता हैं जिससे उसे सुकून और
सन्ति मिले।
3.
हर इंसान अच्छी
कंपनी मे काम करना चाहता हैं यानि के वो चाहता हैं की उसके आस पास खुस, मोटिवेटेड और सच्चे लोग हो।
रिज़ल्ट कैसे बनते हैं?
ये समय के साथ बड़े होते जाते हैं इस Change
your Paradigm, Change your life किताब मे बॉब के टीचर उनसे कहेते हैं “ we are only limited by
the weakness of attention and poverty of imagination” अधिकतर लोग बस गोल के पास आकर रह जाते हैं, क्योकी हम लोग सब चीज पर
काम करते हैं। लेकिन असल मे हम लोगो को अवचेतन मन को ट्रेन करने की जरूरत हैं और
एसा करने के लिए आपको अपने काम मे फोकस करना पड़ेगा और उपाय खोजने के लिए अपने
इमेजिनेसन पर काम करना पड़ेगा।
सबसे पहेली चीज मेरे टीचर ने मुज से पूछि की बॉब
तुम क्या करना चाहते हो? तो बॉब प्रोकटोर कहते हैं
की मे कर्जे से निकलना चाहता हु लेकिन अभी तो ये मुजे असंभव लगता हैं।
तो बॉब के टीचर कहते हैं की यही कारण हैं की तुम
अभी तक कर्जे मे दुबे हुए हो क्योंकि तुम लगातार उन कारणो को देख रहे हो जीने के
कारण तुम कर्जा नहीं चुका सकते, तुमको अपना दिमाग उन कारण
और उपाय से भर्ना होगा जिससे तुम इस गोल को पूरा कर जाओ।
बॉब इस Change your Paradigm,Change your life बूक मे कहते है की बचपन से मुजे बताया
गया था की पैसे कमाने के लिए तुम्हें बहुत स्मार्ट होना पड़ेगा लेकिन मेने तो
हाइ-स्कूल भी पास नहीं किया था।
ये विचार मेरे अवचेतन मन मे बेठे हुए थे क्यों की बचपन मे आप जो देखते और सुनते हो उस को असली रिजैक्ट नहीं करते और वो सीधे आपके अंदर बेठ जाते हैं। लेकिन मेने अपने टीचर की बात मानी उन्होने मुजसे दो चिजे कही.
- हरदिन THINK AND GROW RICH पढ़ना हैं
- हर दिन अपने गोल के लिए एक कदम आगे बढ़ाना
बॉब इस Change your Paradigm, Change your life बूक मे कहते हैं की मे सोच ने लगा की
पैसे कैसे कमाए जा सकते हैं? फिर देखा की हर कंपनी मे
ऑफिस साफ करने की समस्या हैं तो मेने एक ऑफिस सफ़ाई करने वाली कंपनी खोली और 8 साल
के अंदर में 9 देशो मे ऑफिस साफ कर रहा था।
Paradigm बदलने के लिए हम एक आखरी बात और समज लेते हैं।
आपको आइडियास और विचार कहासे आते हैं? सारे विचार आपके अवचेतन मन
से पेदा होते हैं और सारी जानकारी हम बाहर से इखट्टी करते हैं लेकिन हम दोनों
कंडीसन मे चेतन मन का उपयोग कर सकते हैं।
चेतन मन के पास एटेंसन की सकती हैं। हम जिस भी चीज
पर ध्यान देते हैं वो बढ्ने लगती हैं और हम जिस चीज से ध्यान हटाते हैं वो चीज कम
होने लगती हैं, इसको चोईस कहते हैं।
हम ये जानकारी को स्वीकार करके लोगो की राय को
रिजैक्ट कर सकते हैं, जैसे की लोग जब कहते हैं की
आर्थिक मंदी आने वाली हैं अब तो नोकरी मिलना बहुत मुसकिल हो जाएगा तो हम तभी अपने
चेतन मन मे दोहरा सकते हैं की काबिल लोगो की जरूरत तो सभी कंपनियो को हर समय रहेती
हैं मेरी अच्छी तयारी हैं, मे अच्छा परफोरमर हु इसलिए
मुजे नोकरी न मिलने की कोई चिंता नहीं हैं।
तो अब सवाल हैं की Paradigm को कैसे बदला जाए?
Paradigm को उसी तरीके से बदला जाता हैं जिस तरीके से ये बने थे। आपके अवचेतन मन मे
आपकी सेल्फ इमेज भी रेकॉर्ड हैं और ये तब बनी थी जब आप बहुत छोटे थे तब आप ने अपने
बारे मे जो भी बार बार सुना था और महसूस किया था वो आपके अवचेतन मन ने स्वीकार कर
लिया था लेकिन अब आप एक नए बिलिफ़ चुन सकते हैं और उन्हे तरह-तरह से दोहरा सकते हो।
असल मे हम Paradigm बदलते नहीं हैं हम उसे
सक्तिसाली सिस्टम से बदलते हैं नहीं तो पुराने बिलिफ़ सिस्टम बार-बार सामने आते रहेगे।
इसलिए Paradigm बदलने के लिए सबसे पहेला कदम हैं की आप तय करो की किस तरह की हैबिट आप अपने
अंदर पैदा करना चाहोगे और उस हैबिट के पीछे क्या बिलिफ़ सिस्टम होना चाहिए और फिर
उस बिलिफ़ सिस्टम को अलग अलग प्रकार से बार-बार रिपिट करो जब तक वो आपके अंदर पक्के
न हो जाए। जैसे मे काम के बीच मे बोर होने की आदत को छोड़ना चाहता हु। यानि मे लंबे
समय तक काम मे अपना मन लगाया रखना चाहता हु।
तो मुजे इस आदत के पीछे क्या बिलिफ़ सिस्टम बनाना
पड़ेगा बिलिफ़ की जितना भी मजा चाहिए वो सब इस वक़्त करने मे हैं क्योंकि
प्रोसैस मे ध्यान लगाने से मन सांत होता हैं और मन सांत होने से मजा अपने आप आता
हैं।
इसे एक लिने मे कहे तो सारा मजा अपने अंदर छिपा हैं
जैसे-जैसे ये बात अंदर बेठती जाएगी जैसे-जैसे हम इसे असली मे महसूस करेंगे तो अपने
आप एक जगह हमारा मन लगा रहेगा।
रिपिटेसन ऑफ इन्फोर्मेसन
इसे तरह बिलिफ़ को एफ्फ़िर्मेसन बनाकर बार-बार
दोहराएगे, जैसे मे बहुत आनंदित और आभारी हु के मे हर कार्य मे पूरी तरह से फोकस रहता
हु। और एसा करने मे मुजे बहुत एनर्जि और खुसी महसूस होती हैं।
इसके अलावा जो भी एक्शन आप अपने नए हैबिट्स के लिए
लेते हैं वो सब आपको मदद करते हैं, जैसे नए हैबिट्स को पेपर पर
लिख दिन मे दो तीन बार पढ्ना और उन्हे विसूयलाइयज करना उसे अलार्म लगाकर अपने हर
रोज के रूटीन मे लाना ये सब आपकी मदद करते हैं।
जब अंदर और बाहर दोनों तरफ काम होने लगता हैं तो
आपके बिलिफ़ सिस्टम के साथ-साथ आपकी एनर्जि और वायब्रेसन भी बदलने लगते हैं जिस
कारण आप नए रिजल्ट्स अपनी तरफ एट्टेर्क्त
करते हैं।
दोस्तो अगर आप सच मे अपने अंदर बदलाव लाना चाहते हो
तो इस लेख को हर दिन दो या तीन बार जरूर पढ़िये और पढ़ ने के बाद उसको अपने अंदर
उतारे और अपने काम मे एक्शन लीजिये, जैसे हैबिट विसूयलाइज करना, या प्रोसैस को पेपर पर लिखना या किसी हैबिट के लिए पहेले बिलिफ़ सिस्टम बनाना।
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